That Tree!
That tree ~
standing a little away from all
with injured bark and torn branches
That tree ~
an emerald necklace
whose gems have been clawed out
leaving bits and pieces of green~
shining!
~ Sunita Singh©
That Tree!
That tree ~
standing a little away from all
with injured bark and torn branches
That tree ~
an emerald necklace
whose gems have been clawed out
leaving bits and pieces of green~
shining!
~ Sunita Singh©
Song :- Tum mujhe bhool bhi jao toh yeh haq hai tumko….
Film :- Didi
Lyrics :- Sahir Ludhiyanvi
Singers :- Sudha Malhotra and Mukesh
Song
सुधा:
तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है
मेरे दिल की मेरे जज़बात की कीमत क्या है उलझे-उलझे से ख्यालात की कीमत क्या है
मैंने क्यूं प्यार किया तुमने न क्यूं प्यार किया इन परेशान सवालात कि कीमत क्या है
तुम जो ये भी न बताओ तो ये हक़ है तुमको मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है
तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको
मुकेश:
ज़िन्दगी सिर्फ़ मुहब्बत नहीं कुछ और भी है ज़ुल्फ़-ओ-रुख़सार की जन्नत नहीं कुछ और भी है भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में इश्क़ ही एक हक़ीकत नहीं कुछ और भी है
तुम अगर आँख चुराओ तो ये हक़ है तुमको
मैंने तुमसे ही नहीं सबसे मुहब्बत की है
तुम अगर आँख चुराओ तो ये हक़ है तुमको
सुधा:
तुमको दुनिया के ग़म-ओ-दर्द से फ़ुरसत ना सही सबसे उलफ़त
सही मुझसे ही मुहब्बत ना सही
मैं तुम्हारी हूँ यही मेरे लिये क्या कम है
तुम मेरे होके रहो ये मेरी क़िस्मत ना सही
और भी दिल को जलाओ ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है
तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको…
Translation In English
Lady ( Sudha)
In case you forget me, you have all the right to do so
Not so for me, since I love you
What is the worth of my heart, my emotions
What is the worth of my entangled thoughts
Why do I love you and why do you not
What is the worth of these questions
In case you do not even answer
you have all the right
Not so for me, I love you
In case you forget me, you have all the right..
Gentleman ( Mukesh)
Life is not just about love but a lot more things
Not just a paradise consisting of the beauty of your tresses and countenance, but a lot of other things
This life which is inflicted by hunger and thirst,
love is not the only reality
In case you turn away from me, you have all the right to do so
I have loved not just you, but everyone else too
In case you turn away from me, you have all the right..
Lady (Sudha)
You have no time to spare from the pain and sufferings of the world
You have love for everyone but no love for me
But it’s enough for me, that I am yours
It’s not my fate that you become mine
And you make my heart burn, but you have all the right
Not so for me, since I love you
In case you forget me, you have all the right
Not so for me, since I love you.
Inspired by Gulzar sa’ab’s Triveni style of poems.
एक कोशिश है, ग़ुस्ताख़ी के लिए माफ़ी..
धुंध के पर्दे में लिपटी आई है शाम
चांद भी लड़खड़ा रहा है
सांस लेना अब कितना मुश्किल है!
~Sunita Singh
Inspired by Gulzar Sa’ab’s Triveni style of poems :-
धुंध के पर्दे में लिपटी आई है शाम
चांद भी लड़खड़ा रहा है
सांस लेना अब कितना मुश्किल है
आदम को सेब खिलाने का गुनाह
जो किया हव्वा ने,
तो आजतक
सज़ा भुगत रही है,
है ये भी सच,
कि आदम ने
सेब खाया
मर्ज़ी से ही,
फिर भी हव्वा है गुनहगार,
यह सज़ा सुना दिया खुदा ने!
हव्वा को मिली सलाखें
आदम को मिली आज़ादी,
हव्वा को मिली हया शर्म की आज़माइश
आदम को आवारगी की रहाइश
गुनाह दोनों का था एक मगर –
हव्वा को मिला लानतों- ज़िलल्तों का सरोबार,
आदम को तोड़ने बिखेरने का अधिकार!
हव्वा के आंचल में आये आंसू और सिसकियां
आदम के लिए थीं सारे जहां की खुशियां!
आदम आज भी हव्वा को
नोच खसोट और तोड़ रहा है,
है यह सिर्फ हव्वा का ही दंभ
कि लुट- पिटकर
घिसट- बिखरकर भी
वह सब कुछ समेट रही है,
है कहां खु़दा ???
वह आज तक
मंदिरों-मस्जिदों में
ढूंढ रही है,
वह आज तक
मंदिरों – मस्जिदों में ढूंढ रही है ।।
-Sunita Singh
वक़्त के आगे झुकना मुझे मंज़ूर नहीं,
कोई आंधी मुझे उड़ा ले जाए?
मुझे मंज़ूर नहीं!
दरिया बन,
समंदर में समा जाऊं?
यह मंज़ूर नहीं!
हालात के थपेड़ों से
कमज़ोर पड़ जाऊं?
यह मंज़ूर नहीं!
आवाज़ दबा,
हां-में-हां मिलाऊं ?
यह मंज़ूर नहीं!
ग़लत को सही बता,
रिशते निभाऊं?
मंज़ूर नहीं!
जीवन के कुरूक्षेत्र में
पीठ दिखाऊं?
मंज़ूर नहीं!
तीर सीने पर न खाऊं?
यह मंज़ूर नहीं!
लहू निकले और
दम तोड़ने लगूं?
मुझे मंज़ूर नहीं!
तेरे हुस्न की तारीफ कैसे करूं लफ़्ज़ों में इसको कैसे बयां करूं
वह उजला सा नूर, वह निगाहों का तेज वह रूहानी खुशबू,वह धीरे धीरे से मुस्कुराना, वह मीठे बोल, वह चमकता रुखसार, वो रंगीन लिबास, वो अपनेपन का एहसास!
तेरे हुस्न की तारीफ कैसे करूं लफ़्ज़ों में इसको कैसे बयां करूं!
वो महफ़िल,वो जश्न, वो सुकून का आलम वो अमृत का बरसना,वो पैरों का थिरकना वो छिप छिपकर तुझे निहारना वो हाथों का इशारा, वो हसीन नज़ारा और उसपर तेरा वो बेबाक इश्क़!
तेरे हुस्न की तारीफ कैसे करूं लफ़्ज़ों में इसको कैसे बयां करूं!!